आउटसोर्सिंग नहीं, स्थायी रोज़गार चाहिए!

 


अखिलेश यादव का संकल्प और युवाओं की उम्मीद

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर रोज़गार और नौकरी को लेकर बहस तेज़ हो गई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी ने हाल ही में एक अहम घोषणा की —

"समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर राज्य में चल रही आउटसोर्सिंग व्यवस्था को पूरी तरह खत्म किया जाएगा।"

यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक वादा नहीं, बल्कि उस लाखों युवाओं की पीड़ा की आवाज़ है जो सालों से संविदा और आउटसोर्सिंग के बोझ तले काम कर रहे हैं — बिना सुरक्षा, बिना स्थायित्व और बिना सम्मान।


🧾 क्या है आउटसोर्सिंग व्यवस्था?

आउटसोर्सिंग का मतलब है — सरकारी विभागों में निजी एजेंसियों के माध्यम से कर्मचारियों की भर्ती। ये कर्मचारी:

  1. स्थायी नहीं होते
  2. उन्हें न्यूनतम वेतन दिया जाता है
  3. किसी भी समय नौकरी से निकाला जा सकता है
  4. कोई पेंशन, भत्ता या भविष्य निधि की गारंटी नहीं होती

👉 यानी काम सरकारी, पर नौकरी निजी एजेंसी के नाम पर।


⚠️ क्या है आउटसोर्सिंग से नुकसान?

  1. युवाओं में असुरक्षा की भावना
  2. काम का कोई मूल्य नहीं, मेहनताना कम
  3. भविष्य की योजना बनाने में अड़चन
  4. शोषण और भ्रष्टाचार को बढ़ावा
  5. सरकारी तंत्र की जवाबदेही कमजोर


🔴 समाजवादी पार्टी का वादा — रोज़गार में सम्मान की वापसी

अखिलेश यादव जी ने साफ कहा है कि जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी, तो:

✅ आउटसोर्सिंग की प्रथा खत्म की जाएगी
✅ सभी पदों पर स्थायी भर्ती की प्रक्रिया शुरू होगी
✅ युवाओं को संवैधानिक हक़ के तहत नौकरी मिलेगी
✅ संविदा पर काम कर रहे कर्मियों को सम्मानजनक विकल्प दिया जाएगा


🔁 इतिहास गवाह है: समाजवादी पार्टी और रोज़गार

  • 2012-2017 में अखिलेश सरकार ने
    ➤ लाखों नौजवानों को बेरोजगारी भत्ता दिया
    लैपटॉप योजना से युवाओं को डिजिटल बनाया
    ➤ शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, परिवहन जैसे क्षेत्रों में भारी भर्ती की

🗣️ अब जब भाजपा सरकार सिर्फ प्रचार में व्यस्त है और सरकारी भर्तियां कोर्ट और घोटालों में उलझी हैं, तब समाजवादी पार्टी युवाओं को एक बार फिर भरोसा दे रही है।


📣 निष्कर्ष: अब फैसला आपका है

क्या हम ठेके की नौकरी को स्वीकार करते रहेंगे,
या अपनी मेहनत का सम्मान वापस लाएंगे?

समाजवादी पार्टी का यह वादा सिर्फ नारा नहीं, युवाओं के आत्मसम्मान की पुनर्स्थापना का संकल्प है।

✊ अब वक्त है कहने का —
"आउटसोर्सिंग नहीं, स्थायी रोज़गार चाहिए!"


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