शिक्षा किसी भी राज्य के भविष्य की नींव होती है, लेकिन जब यह नींव ही कमजोर होने लगे, तो सवाल उठाना ज़रूरी हो जाता है। उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर हाल के वर्षों में कई बहसें सामने आई हैं। इस ब्लॉग में हम दो मुख्यमंत्रियों – अखिलेश यादव (2012-2017) और योगी आदित्यनाथ (2017-वर्तमान) – के कार्यकाल में शिक्षा व्यवस्था की तुलना करेंगे।
🔴 अखिलेश यादव सरकार: एक उम्मीद से भरा दौर
समाजवादी पार्टी की सरकार में शिक्षा को एक गंभीर प्राथमिकता दी गई थी। आंकड़ों और नीतियों के आधार पर देखें तो:
✅ 1. नए स्कूल और कॉलेज की स्थापना
गांव-गांव में इंटर कॉलेज खोले गए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र भी उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर सकें।
✅ 2. लैपटॉप वितरण योजना
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले होनहार बच्चों को फ्री में लैपटॉप दिए गए, जिससे डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा मिला।
✅ 3. कन्या विद्याधन योजना
बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए कन्या विद्याधन योजना लागू की गई, जिससे लाखों बालिकाएं इंटर पास करने के बाद आगे की पढ़ाई कर सकीं।
✅ 4. बेरोजगारी भत्ता
पढ़े-लिखे युवाओं को आर्थिक सहायता देकर आगे बढ़ने का मौका दिया गया।
📝 कुल मिलाकर अखिलेश यादव का कार्यकाल शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव का प्रतीक था।
🟠 योगी आदित्यनाथ सरकार: शिक्षा या उपेक्षा?
योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भाजपा सरकार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर काफी आलोचना हुई है।
❌ 1. स्कूलों का विलय और बंदी
बड़ी संख्या में प्राइमरी स्कूलों को मर्ज किया गया या बंद कर दिया गया, जिससे बच्चों को दूरदराज जाना पड़ रहा है।
❌ 2. जर्जर भवन और खतरे में जान
अनेक विद्यालयों की इमारतें जर्जर हैं। बारिश हो या गर्मी, बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं।
❌ 3. शिक्षकों पर कार्यवाही
जो शिक्षक सरकार की नीतियों का विरोध करते हैं या आवाज उठाते हैं, उनके ऊपर FIR तक दर्ज की जा रही है।
❌ 4. मूलभूत सुविधाओं का अभाव
ड्रेस, किताबें, और यहां तक कि पीने का पानी तक समय पर नहीं पहुंचता। डिजिटल शिक्षा तो दूर की बात है।
🧒🏻 तुलना से जो सच सामने आता है...
विषय | अखिलेश यादव (2012-17) | योगी आदित्यनाथ (2017-25) |
---|---|---|
स्कूल/कॉलेज खोलना | ✅ बढ़ावा | ❌ मर्ज कर बंद |
डिजिटल शिक्षा | ✅ लैपटॉप योजना | ❌ ठप्प |
बालिकाओं की मदद | ✅ कन्या विद्याधन | ❌ कोई उल्लेखनीय योजना नहीं |
शिक्षक सम्मान | ✅ संवाद और सहयोग | ❌ FIR और दबाव |
आधारभूत सुविधाएं | ✅ पर्याप्त प्रयास | ❌ गंभीर कमी |
📢 जनता अब पूछ रही है...
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क्या यह वही अमृतकाल है जिसमें शिक्षक जेल जा रहे हैं और स्कूलों पर ताले लग रहे हैं?
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क्या यह वही डबल इंजन सरकार है, जिसमें शिक्षा की गाड़ी पटरी से उतर चुकी है?
✊ समाजवादी पार्टी का स्पष्ट संदेश:
"शिक्षा प्राथमिकता है, राजनीति नहीं।
शिक्षक सम्मान के हकदार हैं, अपमान के नहीं।"
निष्कर्ष:
जहां एक ओर अखिलेश यादव का कार्यकाल शिक्षा के लिए संवेदनशील और सशक्त प्रयासों से भरा था, वहीं योगी सरकार में शिक्षा उपेक्षा और तानाशाही के बीच पिसती नजर आती है। अब फैसला जनता को करना है कि वो अपने बच्चों को कैसी शिक्षा व्यवस्था देना चाहती है — सम्मानजनक या संकटपूर्ण?
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