श्री अखिलेश यादव जी का यंग एम्प्लॉयीज़ को विशेष संदेश

 

प्रिय यंग एम्प्लॉयीज़,

जो लोग एम्प्लॉयीज़ को 90 घंटे काम करने की सलाह दे रहे हैं कहीं वो इंसान की जगह रोबोट की बात तो नहीं कर रहे हैं क्योंकि इंसान तो जज़्बात और परिवार के साथ जीना चाहता है।

और आम जनता का सवाल ये भी है कि जब अर्थव्यवस्था की प्रगति का फ़ायदा कुछ गिने चुने लोगों को ही मिलना है तो ऐसी 30 ट्रिलियन की इकोनॉमी हो जाए या 100 ट्रिलियन की, जनता को उससे क्या। सच्चा आर्थिक न्याय तो यही कहता है कि समृद्धि का लाभ सबको बराबर से मिले, लेकिन भाजपा सरकार में तो ये संभव ही नहीं है।

साथ ही सलाह देनेवाले भूल गये कि मनोरंजन और फ़िल्म उद्योग भी अरबों रुपए इकोनॉमी में जोड़ता है। ये लोग शायद नहीं जानते हैं कि एंटरटेनमेंट से लोग रिफ़्रेश्ड, रिवाइव्ड और री-एनर्जाइज़्ड फ़ील करते हैं, जिससे वर्किंग क्वॉलिटी बेटर होती है। 

ये लोग न भूलें कि युवाओं के सिर्फ़ हाथ-पैर या शरीर नहीं, एक दिल भी होता है जो खुलकर जीना चाहता है और बात घंटों काम करने की नहीं होती बल्कि दिल लगाकर काम करने की होती है।क्वांटिटी नहीं, क्वॉलिटी ऑफ़ वर्क सबसे ज़रूरी होता है। सच तो ये है कि युवाओं की रात-दिन की मेहनत का सबसे ज़्यादा लाभ सबसे ऊपर बैठे हुए लोगों को बैठे-बिठाए मिलता है, इसीलिए ऐसे कुछ लोग ‘90 घंटे काम करने’ जैसी इंप्रैक्टिकल सलाह देते हैं। आज जो लोग युवाओं को ये सलाह दे रहे हैं, वो दिल पर हाथ रखकर बताएं कि ये विचार उन्हें तब आया था क्या जब वो युवा थे और आया भी था और उन्होंने अपने समय में अगर 90 घंटे काम किया भी था तो फिर आज हम इतने कम ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी तक ही क्यों पहुँचे। 

वर्क एंड लाइफ़ का बैलेंस ही मानसिक रूप से एक ऐसा स्वस्थ वातावरण बना सकता है, जहाँ युवा क्रिएटिव और प्रॉडक्टिव होकर सही मायने में देश और दुनिया को और बेहतर बना सकते हैं। 

अगर भाजपाई भ्रष्टाचार ही आधा भी कम हो जाए तो अर्थव्यवस्था अपने आप दुगनी हो जाएगी। जिसकी नाव में छेद हो उसकी तैरने की सलाह का कोई मतलब नहीं। 



आपका 

अखिलेश




टिप्पणियाँ